जो बच्चा साफ-सुथरे ढंग से रहता है, वह सभी को प्यारा लगता है। अतः बच्चो का शरीर, नाखून, बाल, कपड़े, जूते इत्यादि साफ हों।
-खांसी आने पर मुंह पर हाथ रखना सिखाएं। जुकाम होने पर रुमाल रखना अति आवश्यक है।
-सबके बीच में नाक, कान, दांत कुरेदने की आदत ठीक नहीं है।
-अपने निजी सामान (ड्रेस, जूते, कापी-किताब इत्यादि) को करीने से यथास्थान रखने की आदत डालें।
-प्रयोग किए हुए डिस्पोजेबिल आइटम इधर-उधर न फेंककर डस्टबिन में ही डालना सिखाएं।
-जब कोई बाहरी व्यक्ति घर में मिलने आए तो खड़े होकर उसका स्वागत करें। यदि बच्चा अंदर कमरे में पढ़ाई में तल्लीन है तो भी कम से कम एक-दो मिनट के लिए बाहर आकर मेहमान से प्रसन्नतापूर्वक जरूर मिलना चाहिए।
-कसी के रूम में जाने से पूर्व दरवाजा अवश्य खटखटाएं।
-कसी की किताब, मैगजीन, अखबार इत्यादि लें तो उसे शीघ्र से शीघ्र बिना मोड़े-तोड़े, निशान इत्यादि लगाए वापस करें।
-कसी की धूप-रोशनी न रोकें।
-यदि अपनी मनपसंद का टीवी प्रोग्राम देखना हो तो साथ में बैठे बड़ों से आज्ञा लेकर ही देखें।
द्य बच्चा जब बड़ों का अभिवादन करे तो थोड़ा झुके भी।
-बड़ों से जब कोई चीज लेनी-देनी हो तो सदैव दाहिने हाथ का ही प्रयोग करें, बाएं का नहीं।
-जब बड़े व्यक्ति घर से बाहर जा रहे हों तब बच्चे न तो कोई टोका-टाकी करें और न ही किसी बात की जिद।
-बड़ों के घर वापस आने पर धर करें, न किसी खाने की चीज पर ललचाएं और न ही मेजबान के बच्चाों से लड़ें-झगड़ें।
-बच्चों को सिखाएं कि पड़ोसी, मित्र, मेहमान इत्यादि के सामने किसी भी प्रकार की जिद न करें।
-बच्चों को बिना मां-बाप की पूर्व इजाजत के न तो कोई वस्तु लेनी चाहिए और न खानी।
-जब किसी से मिलें तो बड़ों के लिए अंकल, आंटी या जो भी रिश्ता हो बोलकर गुड मार्निग, नमस्ते आदि कहकर ग्रीट करें।
-धन्यवाद (थैंक्यू), सॉरी (क्षमा करिए, एक्सक्यूज मी) जैसे शब्दों से बच्चों का परिचय कराएं ताकि वे इनका प्रयोग आवश्यकतानुसार कर सकें।
-जब किसी से बात करें या किसी की बात सुनें तब उसकी तरफ देखें भी।
-अपशब्दों के प्रयोग से बच्चों को एकदम बचाएं।
-यदि कोई दो व्यक्ति आपस में बात कर रहे हों और बच्चा कुछ कहना चाहता है तो उसे बताएं कि या तो बात खत्म होने का इंतजार करें या प्लीज, एक्सक्यूज मी कहकर बीच में बोलने की इजाजत लें।
-बच्चा जब अपने फ्रेंड्स से मिलने जाए तो उनके पैरेंट्स को जरूर ग्रीट करें और आदर के साथ थोड़ी बात भी करें।
-जब साथ में बैठकर खाना खाएं तो पहले बड़े व्यक्ति को शुरू करने दें।
-खाते समय कम से कम बोलें और जब खाना मुंह में हो तब तो कतई न बोलें।
-खाने की टेबल पर न तो छीना-झपटी करें और न ही कोई वस्तु छांटने की कोशिश करें।
-डिश में से खाना परोसते समय बहुत होशियारी बरतें ताकि खाद्य पदार्थ टेबल पर या नीचे न गिरे।
-किसी को बिना पूछे कुछ न परोसें। परोसते समय व्यंजनों को हाथ से न छुएं और दाहिने हाथ से ही सर्व करें।
-कोशिश करें कि प्लेट में (जूठा) खाना न बचे। उतना ही खाना लें जितना कि आप खा सकें।
-सबका खाना खत्म होने का इंतजार करें। यदि पहले उठना हो तो इजाजत लेकर उठें।
-खाना खाने के बाद प्लेट्स इत्यादि को एक में एक करके करीने से रखना सिखाएं। ये लिस्ट लंबी हो सकती है। ऐसी तमाम बातें मां-बाप को अपने बच्चों को शुरू से ही सिखाना चाहिए, ताकि ये उनकी आदत का हिस्सा बन जाएं। खास बात यहां ध्यान देने की यह है कि बच्चा मां-बाप की बातों को सुनने में तो चूक कर सकता है, परंतु उनके व्यवहार की नकल करने में चूक कभी नहीं करता। इसलिए जो बातें मां-बाप अपने बच्चों को सिखाना चाहते हैं उन्हें पहले स्वयं अपने व्यवहार में लाएं।
-बच्चे उपदेश से नहीं सुधरते, वे सुधरते हैं उदाहरणों से।
-मां-बाप का जीवन उनके स्वयं के लिए ही नहीं होता, बल्कि बच्चों के लिए होता है।
-बच्चे मां-बाप की परछाई होते हैं। हम उन्हे जो देंगे वहीं वे औरों को बांटेंगे।
-गिफ्ट मिले तो थैंक्यू कहना सिखाएं।
-थैंक्यू के बदले वेलकम, माई प्लेजर कहना सिखाएं।
-छोटों को पढ़ाई-लिखाई में मदद करना भी सिखाएं।
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